श्री विश्वकर्मा चालीसा

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">श्री विश्वकर्मा चालीसाII आरती श्री विश्वकर्मा जी की II
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श्री विश्वकर्मा चालीसा ॥दोहा ॥ विनय करौं कर जोड़कर मन वचन कर्म संभारि । मोर मनोरथ पूर्ण कर विश्वकर्मा दुष्टारि ॥ ॥चौपाई ॥ विश्वकर्मा तव नाम अनूपा , पावन सुखद मनन अनरूपा । सुन्दर सुयश भुवन दशचारी , नित प्रति गावत गुण नरनारी । शारद शेष महेश भवानी , कवि[…]

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