ये जो “जीभ” है इसे चिरकाल जवानी प्राप्त हुई है,“इन्सान”जितना भी चाहे बूढा हो जाये, उसका आँखोंसे दिखना भी बंद हो जाये, लेकिन जीभ कभी भी बूढी नही होती,जीभ का आवेश जीवन के आखरी क्षण तक रहता है, और जीभ को काबू में रखने के लिये भगवान ने बत्तीस दाँत[…]
कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए प्रसन्न नहीं दिखाई देता की…उसके जीवन में कोई परेशानी नहीं है।..बल्कि इसलिए प्रसन्न रहता है,क्योंकि उसका जीवन जीने का दृष्टिकोण सकारात्मक है।…मेरा दृष्टिकोण तो यह है कि आप इंद्रधनुष चाहते है।…तो आपको वर्षा सहन करनी ही होगी।…मुस्कान और मदद ये दो ऐसे इत्र है….जिन्हें जितना अधिक[…]
ईश्वर के पास बहुत स्कीम है,कोरोना , भूकम्प , बाढ़बारिश , तूफान..!!मनुष्य के पास केवल एकही स्कीम है. . . . . . . . .” कर्म “….!!दुःख में स्वयं की एक अंगुलीआंसू पोंछती है ;और सुख में दसो अंगुलियाँताली बजाती है ;जब स्वयं का शरीर ही ऐसाकरता है तोदुनिया[…]
मन और मकान को समय समय पर साफ़ करना बहुत जरुरी है ….क्योंकि मकान में बेमतलब सामान और मन में बेमतलब गलतफहमियाँ भर जाती है..!!अगर इंसान की पहचान करनी हो तो सूरत से नहीं चरित्र से करो,….क्योंकि सोना अक्सर लोहे की तिजोरी में ही रखा जाता है..!आज जो धुप सुकून[…]
पूर्व धारणा औऱ पूर्व पक्ष से ग्रसितमन और आंख कभी भी सत्य कादर्शन नहीं कर पाती।सत्य के लिये,निरपेक्षता,निष्पक्षता,न्याय संगतता,उदारता,शून्य धारणा,आदि गुणसम्पन्नता ही होने पर,सत्यं अनुसंधान एवम सत्यदर्शन होपाता है।केवल रक्त सम्बंध से हीकोई अपना नही होताप्रेम, सहयोग, विश्वास, निष्ठासुरक्षा, सहानुभूतिऔरसम्मानये सभी ऐसे भाव है जोपरायो को भी अपनाबनाते हैं !!🙏🏻🌄शुभ[…]
बात इतनी मधुर रखो कि, कभी वापस लेनी पड़े तो खुद को कडवी ना लगे..!!कदम, कसम और कलम सोच समझ कर ही उठाना चाहिए..!!केवल दो चीजों से इंसान सारे रिश्ते खो देता है, एक गलत फहमी और दूसरा इंसान का अभिमान..!!इंसान की आर्थिक स्थिति कितनी भी अच्छी क्यों ना हो,[…]
ब्रह्मज्ञानियो की दॄष्टि में स्वर्ग तिनके के समान हैशूरवीर की दॄष्टि में जीवन तिनके के समान है…इंद्रजीत के लिए स्त्री तिनके के समान है …और जिसे किसी भी वस्तु की कामना नहीं है उसकी दॄष्टि में यह सारा संसार क्षणभंगुर दिखाई देता है।वह तत्व ज्ञानी हो जाता है।मनुष्य अकेला ही[…]
विद्या कामधेनु के समान सभी इच्छाए पूर्ण करने वाली है..विद्या से सभी फल समय पर प्राप्त होते है…..परदेस में विद्या माता के समान रक्षा करती है।विद्वानों ने विद्या को गुप्त धन कहा है अर्थात विद्या वह धन है जो आपातकाल में काम आती है…इसका न तो हरण किया जा सकता[…]
जो लोग भयभीत करके अपना दबदबा बनाना चाहते है ,वे एक सीमा तक इस में सफल भीहो जाते हैं लेकिन वे पूरा जीवन प्रेमसे वंचित ही रहते हैं।जिस से कोई डरता है निश्चित ही मानना कि भीतर ही भीतर उस सेनफरत ही करता है कभी भी उसकेप्रति ह्रदय में प्रेम[…]
स्त्रियों का गुरु पति है।अतिथि सबका गुरु है।ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य का गुरु अग्नि है तथा चारों वर्णो का गुरु ब्राह्मण है।जिस प्रकार घिसने काटने आग में तापने-पीटने इन चार उपायो से सोने की परख की जाती है…वैसे ही त्याग शील गुण और कर्म इन चारों से मनुष्य की पहचान[…]